शरद पूर्णिमा 2024 चांदनी रात में खीर से पाएं मां लक्ष्मी की कृपा!

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 शरद पूर्णिमा 2024: शरद पूर्णिमा के दिन क्या करें और क्या न करें? जानें सही नियम और महत्व!

शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और उसकी चांदनी से अमृतमयी किरणें पृथ्वी पर गिरती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की पूजा, मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की आराधना करने से व्यक्ति को सुख, शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है। इस लेख में शरद पूर्णिमा से जुड़े सभी महत्वपूर्ण नियमों और परंपराओं का विस्तार से वर्णन किया गया है।

 शरद पूर्णिमा 2024 की तिथि और समय
शरद पूर्णिमा की तिथि : इस साल शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर, 2024 (बुधवार) को मनाई जाएगी।
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ : 16 अक्टूबर, 2024 को रात 08:41 बजे।
पूर्णिमा तिथि समाप्त : 17 अक्टूबर, 2024 को शाम 04:53 बजे।
चन्द्रोदय समय : 16 अक्टूबर को शाम 05:04 बजे।

 शरद पूर्णिमा पर क्या करें?

 1. चंद्रमा को अर्घ्य दें
इस दिन चंद्रमा को जल अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। माना जाता है कि चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। अर्घ्य देने के साथ-साथ चंद्रमा से संबंधित मंत्रों का जाप करना भी उत्तम माना गया है।

 2. मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें
शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। इस दिन घर के मुख्य द्वार पर दीप जलाने और मां लक्ष्मी की आराधना करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। पूजा के दौरान मां लक्ष्मी और विष्णु से जुड़े मंत्रों का जाप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

 3. दीपक जलाएं
शरद पूर्णिमा की रात घर के हर कोने में दीपक जलाना शुभ माना जाता है। दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यह घर के सदस्यों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।

 4. खीर बनाएं और चांदनी में रखें
शरद पूर्णिमा की रात को चांदनी में खीर रखने की परंपरा बेहद लोकप्रिय है। मान्यता है कि चंद्रमा की अमृतमयी किरणें खीर में समाहित हो जाती हैं और यह खीर स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होती है। खीर को मिट्टी, कांच, या चांदी के पात्र में रखा जाना चाहिए, ताकि उसमें अमृत का संचार हो सके।

 5. दान करें
इस दिन जरूरतमंदों को दान करने का अत्यधिक महत्व है। खासकर, भोजन और वस्त्र दान करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन का दान व्यक्ति के समृद्ध भविष्य के लिए सहायक होता है।

 6. व्रत रखें
शरद पूर्णिमा के दिन उपवास रखने से शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है। उपवास के दौरान तामसिक भोजन का सेवन न करें और विशेष रूप से ध्यान रखें कि इस दिन शरीर को शुद्ध रखें ताकि अमृतमयी चंद्रमा की किरणों का अधिक से अधिक लाभ मिल सके।

 शरद पूर्णिमा पर क्या न करें?

 1. नकारात्मक विचार और क्रोध से बचें
इस दिन नकारात्मक विचारों और झगड़े से बचना चाहिए। किसी से विवाद करना या गुस्सा दिखाना अशुभ माना जाता है, क्योंकि इससे घर में दरिद्रता का वास हो सकता है। शरद पूर्णिमा के दिन परिवार में शांति और सामंजस्य बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

 2. असत्य बोलने से बचें
शरद पूर्णिमा के दिन असत्य बोलना वर्जित माना गया है। सत्य का पालन करने से व्यक्ति को शुद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है, जो आध्यात्मिक उन्नति के लिए आवश्यक है।

 3. तामसिक भोजन का सेवन न करें
इस दिन तामसिक भोजन, जैसे कि मांस, लहसुन, और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए। तामसिक भोजन का परित्याग करने से व्यक्ति के भीतर शुद्धि बनी रहती है, जो आध्यात्मिक प्रगति के लिए आवश्यक है।

 4. काले रंग का प्रयोग न करें
शरद पूर्णिमा के दिन काले रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए। इसके बजाय सफेद या चमकदार रंगों के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है, क्योंकि सफेद रंग सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है और इससे व्यक्ति के जीवन में शांति आती है।

 शरद पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व
शरद पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व अत्यंत विशाल है। इस दिन की गई पूजा और अनुष्ठान से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का संचार होता है। चंद्रमा की किरणें अमृतमयी होती हैं और उनका सीधा प्रभाव व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा से व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति मिलती है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

शरद पूर्णिमा की कथा

शरद पूर्णिमा से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कथाएँ नीचे दी गई हैं:

1. मां लक्ष्मी की कथा

एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, एक समय में जब राजा और प्रजा संकट में थे, तब देवी लक्ष्मी रात को भ्रमण करती थीं और जो लोग जागरण करते थे, उनके घर में जाकर उन्हें धन, समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद देती थीं। इस कथा के अनुसार, देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए इस रात को जागरण करना चाहिए, ताकि घर में कभी दरिद्रता न आए। इसे ‘कोजागरी पूर्णिमा’ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘कौन जाग रहा है’।

2. राधा-कृष्ण की कथा

दूसरी कथा राधा-कृष्ण के अद्वितीय प्रेम से जुड़ी है। शरद पूर्णिमा की रात को भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ रास रचाया था। यह रास लीला प्रेम और भक्ति की चरम अवस्था को दर्शाती है। इस रात को गोपियों के साथ कृष्ण की दिव्य नृत्य लीला ने इस दिन को और भी पवित्र बना दिया। यह कथा बताती है कि इस दिन भगवान के प्रति सच्ची भक्ति और प्रेम का महत्त्व कितना अधिक है।

3. चंद्रमा और अमृत की कथा

एक अन्य कथा के अनुसार, देवताओं और दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन से निकले अमृत को चंद्रमा ने धारण किया था। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा से अमृतमयी किरणें धरती पर गिरती हैं। इस कारण, लोग इस रात को खुले आसमान के नीचे खीर बनाकर रखते हैं और सुबह उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं, जिसे औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है।

शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व

खीर बनाने और उसे चंद्रमा की किरणों में रखने की परंपरा बहुत प्राचीन है। खीर को खासतौर पर मिट्टी, कांच या चांदी के पात्र में रखा जाता है ताकि चंद्रमा की अमृतमयी किरणें उसमें समाहित हो सकें। माना जाता है कि इस खीर को सुबह सेवन करने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, और यह कई रोगों से बचाव करती है।

विज्ञान भी इस तथ्य को समर्थन करता है कि इस दिन रात के समय चंद्रमा से विशेष प्रकार की किरणें निकलती हैं, जिनका मानव शरीर पर सकारात्मक प्रभाव होता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, शरद पूर्णिमा की रात आकाशीय स्थिति ऐसी होती है कि चंद्रमा की रोशनी में विशेष प्रकार की ऊर्जा होती है जो स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है।

शरद पूर्णिमा की पूजा विधि

इस दिन की पूजा विधि विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है, और इसे सही तरीके से करने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। पूजा के कुछ प्रमुख चरण निम्नलिखित हैं:

1. स्नान और शुद्धि

शरद पूर्णिमा की पूजा के लिए सबसे पहले सुबह स्नान करके शरीर और मन को शुद्ध करें। इसके बाद, पूजा के स्थान को भी शुद्ध करना चाहिए और वहाँ दीपक जलाना चाहिए।

2. चंद्रमा की पूजा

शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की विशेष पूजा की जाती है। चंद्रमा को जल अर्पित करके अर्घ्य दिया जाता है। इस दौरान निम्न मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है:

ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः

यह मंत्र चंद्रमा के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाता है और जीवन में शांति और समृद्धि लाने में सहायक होता है।

3. मां लक्ष्मी की पूजा

इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। लक्ष्मी जी के सामने धूप, दीप, और फूल अर्पित करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में धन-धान्य की प्राप्ति होती है।

4. खीर का प्रसाद

खीर बनाकर उसे चंद्रमा की किरणों के नीचे रखना चाहिए। यह खीर अगले दिन सुबह सभी घर के सदस्यों को प्रसाद के रूप में दी जाती है। इसे शरद पूर्णिमा का विशेष प्रसाद माना जाता है और इसका सेवन करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

शरद पूर्णिमा पर क्या करें?

शरद पूर्णिमा के दिन कुछ खास कार्य करने से इस दिन का पूरा लाभ मिल सकता है। नीचे कुछ ऐसे कार्य दिए गए हैं जो इस दिन करना शुभ माना गया है:

1. चंद्रमा को अर्घ्य दें

चंद्रमा को जल चढ़ाने से जीवन में शांति और सुख-समृद्धि का संचार होता है। जल अर्पण करते समय चंद्रमा से अपने घर में शांति और समृद्धि की प्रार्थना करनी चाहिए।

2. व्रत रखें

इस दिन उपवास करने से शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है।

शरद पूर्णिमा के लाभ:
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार।
 धन और समृद्धि की प्राप्ति।
आध्यात्मिक शांति और प्रगति।
 जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह।

 शरद पूर्णिमा के दिन खीर खाने का महत्व
शरद पूर्णिमा की रात चांदनी में रखी गई खीर का विशेष महत्व है। माना जाता है कि चंद्रमा की किरणों से खीर में अमृत का संचार होता है और इसे खाने से स्वास्थ्य लाभ होता है। खीर को खासतौर पर चांदी, कांच या मिट्टी के पात्र में रखने की परंपरा है, जिससे इसमें चंद्रमा की किरणें संचित होती हैं।

 निष्कर्ष
शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म का एक पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन चंद्रमा की पूजा, मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है। शरद पूर्णिमा के दिन चांदनी में रखी गई खीर का सेवन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। सही नियमों का पालन करने से जीवन में आध्यात्मिक और शारीरिक प्रगति होती है।

इसलिए, इस दिन का पूरा लाभ उठाने के लिए नियमों का पालन करें और सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिए विशेष पूजा-अर्चना करें।

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10.ओड़िसा राज्य में टोटल कितने शिक्षिका को कन्यादान कल्याण फाउंडेशन बहाल कर रही है ?

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कन्यादान कल्याण फाउंडेशन के द्वारा सम्पूर्ण राज्यों के हर एक गाँव में एक एक महिला शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है, और वह अपने-अपने गाँव के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करेगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर सुधरेगा और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को भी अच्छा भविष्य मिलेगा।

इस अवसर का लाभ उठाने के लिए पात्रता:

शैक्षिक योग्यता

कम से कम 10+2 (इंटरमीडिएट) उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। साथ ही, द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण होना आवश्यक है।

आयु सीमा

आवेदन करने के लिए उम्र की सीमा 18 से 35 होनी चाहिए। जो भी महिला इच्छुकऔर शिक्षित है, इस योजना का हिस्सा बन सकती है।

भाषा

हिंदी या अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई पूरी करने वाली महिलाएँ आवेदन कर सकती हैं।

कैसे करें आवेदन:

कन्यादान कल्याण फाउंडेशन के द्वारा सम्पूर्ण भारत के प्रत्येक गाँव की इंटरमीडिएट पास महिलाओं के लिए लेकर आयी है एक सुनहरा अवसर !

1. सबसे पहले आवेदन लिंक पर क्लिक करें :-  CLICK HERE 
2. फॉर्म में अपनी व्यक्तिगत जानकारी नाम, मोबइल नंबर, ईमेल आईडी भरें।
3. एक सुरक्षित पासवर्ड बनाएँ और ओटीपी डालकर फॉर्म को सबमिट करें।
4. इसके बाद फॉर्म में अपनी शैक्षिक योग्यता, फोटो, आधार कार्ड और अन्य आवश्यक दस्तावेज़ों की PDF अपलोड करें।
5. ₹1111 का आवेदन शुल्क ऑनलाइन जमा करें। भुगतान के बाद एक रसीद जारी होगी, जिसे भविष्य के लिए सुरक्षित रखें।
6. आवेदन की पुष्टि के बाद आपको एकडम आईडी कार्ड मिलेगा। चयनित होने पर, एक महीने के भीतर आपको इंटरव्यू के लिए कॉल किया जाएगा।

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यह सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि एक सेवा का मौका है!

कन्यादान कल्याण फाउंडेशन की यह योजना सिर्फ शिक्षण तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसा अवसर है, जो महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाती है और साथ ही उन्हें समाज के भविष्य निर्माण का हिस्सा बनाती है।

आपका यह प्रयास सिर्फ 30 बच्चों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह पहल पूरे समाज को प्रभावित करेगी। जब आप अपने गाँव के बच्चों को पढ़ाएंगी, तो आप ज्ञान की दीपक जलाएंगी, जो अगली पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।

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क्यों बनें कन्यादान कल्याण फाउंडेशन का हिस्सा?

1. गृहिणी से शिक्षिका बनने का मौका : अब महिलाएँ अपने घर से बाहर निकले बिना अपने समुदाय की सेवा कर सकती हैं।
2. गाँव में शिक्षा का प्रसार : ग्रामीण बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी, जिससे उनका भविष्य उज्ज्वल होगा।
3. आर्थिक सहायता : इस योजना के तहत आपको मानदेय के रूप में आर्थिक सहायता मिलेगी, जिससे आपकी आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा।
4. समाज में योगदान : आप केवल शिक्षिका नहीं, बल्कि समाज की विकासकर्ता बनेंगी। आपके द्वारा दी गई शिक्षा का प्रभाव हर बच्चे पर पड़ेगा, जिससे वे जीवन में आगे बढ़ सकेगें।

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अब आप देर न करें, तुरंत आवेदन करें और समाज के उत्थान में अपनी भूमिका निभाएँ।

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आपका योगदान, हमारे देश का भविष्य उज्ज्वल बनाएगी। आइए, मिलकर एक शिक्षित समाज का निर्माण करें।

इस तरीके से यह जानकारी न केवल पढ़ने में सरल होगी बल्कि यह प्रेरणादायक भी लगेगी, जो महिलाओं को जोड़ने और उनका मनोबल बढ़ाने में सहायक होगी।

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