भारत ने अपना सबसे कीमती ‘रतन’ खो दिया: क्यों कहा जाता है TATA को देश का सबसे बड़ा ‘लोहार’?
भारत ने अपने एक अनमोल ‘रतन’ को खो दिया। यह केवल एक उद्योगपति का निधन नहीं है, बल्कि एक युग का अंत है। रतन टाटा का जीवन न केवल औद्योगिक उन्नति की मिसाल था, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का प्रतीक भी। उनका जाना भारत के उद्योग और समाज दोनों के लिए एक बड़ा झटका है।
1997 के मार्च महीने में मुझे नोवामुंडी जाना पड़ा, जहां टाटा समूह की लौह अयस्क की खदानें थीं। यह इलाका तब के दक्षिण बिहार (अब झारखंड) और ओडीशा में फैला था, जहां टाटा का साम्राज्य स्थापित था। यहां की पहाड़ियों से निकलने वाला लौह अयस्क जमशेदपुर के टाटा स्टील प्लांट को भेजा जाता था। यह खदानें लाल रंग की धूल से ढकी थीं, जो लगातार खनन के कारण हरियाली खो चुकी थीं। लेकिन टाटा के प्रबंधन की खासियत यह थी कि खनन के बाद वे उसी पहाड़ी को फिर से हरा-भरा बना देते थे।
टाटा की सामाजिक जिम्मेदारी
टाटा समूह न केवल उद्योग में बल्कि अपने कर्मचारियों और स्थानीय समुदायों के कल्याण के लिए भी मशहूर था। उनके ट्रक ड्राइवरों के केबिन एयर कंडीशनिंग से लैस होते ताकि गर्मी से परेशान न हों। खनन में काम करने वाले किसी भी कर्मचारी के घायल होने पर उनके परिवार को पूरा वेतन और मुफ्त चिकित्सा सुविधा मिलती। यहां तक कि आसपास के ग्रामीण भी टाटा के अस्पतालों में मुफ्त इलाज पाते थे।
यह टाटा की सामाजिक जिम्मेदारी का केवल एक उदाहरण था। टाटा समूह हमेशा अपने देश और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेता रहा है। यह परंपरा जे.आर.डी. टाटा से लेकर रतन टाटा तक चली आई है, जिनकी प्राथमिकता हमेशा देश और समाज रही है।
एक युग का अंत
रतन टाटा का निधन एक बड़ी क्षति है। उन्होंने 1990 में टाटा समूह की कमान संभाली और 2012 तक उसे विश्वस्तरीय ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उन्होंने जगुआर लैंड रोवर जैसी घाटे में चल रही कंपनियों को खरीदकर उन्हें फिर से प्रतिष्ठित बना दिया। उनकी दूरदृष्टि के कारण टाटा समूह ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई।
रतन टाटा का सपना गरीबों के लिए सस्ती कार लाने का था, जो उन्होंने ‘नैनो’ के रूप में साकार किया। हालांकि, यह कार बाजार में सफल नहीं हो सकी, लेकिन टाटा की दूरदर्शिता और उनके समाज के प्रति समर्पण को कभी कम नहीं आंका गया।
औद्योगिक क्रांति और सामाजिक उत्थान
रतन टाटा ने सिर्फ औद्योगिक क्षेत्र में क्रांति नहीं की, बल्कि समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए भी काम किया। उनके नेतृत्व में टाटा मोटर्स ने न केवल इंडिका जैसी मिडिल क्लास की चहेती कार बनाई, बल्कि सस्ती और टिकाऊ कारों के निर्माण में भी बड़ी भूमिका निभाई।
उनकी यह कोशिश थी कि देश के हर वर्ग को कार की सुविधा मिले। इंडिका की सफलता के बाद, रतन टाटा ने ‘नैनो’ के रूप में गरीबों को एक सस्ती कार देने का वादा किया। हालांकि, यह कार रतन टाटा के लिए आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण साबित हुई, लेकिन उनकी सामाजिक सोच की झलक इसमें साफ दिखाई दीTATA का लौह साम्राज्य
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह न केवल स्टील के क्षेत्र में बल्कि ऑटोमोबाइल, चाय और अन्य कई उद्योगों में भी अग्रणी बन गया। टाटा स्टील और टाटा मोटर्स जैसी कंपनियां उनके दूरदर्शी नेतृत्व की गवाह हैं। उन्होंने टाटा समूह को स्टील से लेकर लग्जरी कारों तक का सफर तय कराया।
टाटा की सफलता की कहानी तब शुरू हुई जब उन्होंने 1998 में टाटा इंडिका को लॉन्च किया। यह कार मध्यम वर्ग के लिए एक वरदान साबित हुई। इसके बाद ‘नैनो’ जैसी सस्ती कार बनाने का उनका सपना था, जिसे उन्होंने पूरा भी किया। हालांकि, यह बाजार में उतनी सफल नहीं हो सकी, लेकिन टाटा समूह का उद्देश्य हमेशा देश के गरीब और मध्यम वर्ग के लिए बेहतर उत्पाद उपलब्ध कराना रहा है।
रतन टाटा: एक प्रेरणास्रोत
रतन टाटा न केवल एक उद्योगपति थे, बल्कि एक प्रेरणास्रोत भी थे। उन्होंने अपने जीवन में कभी अपने आदर्शों से समझौता नहीं किया। उनकी सोच में हमेशा समाज और देश का हित सर्वोपरि रहा। आज उनके निधन से देश ने केवल एक उद्योगपति को नहीं, बल्कि एक सच्चे समाजसेवी को खो दिया है।
रतन टाटा के बिना, टाटा समूह के भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नोएल टाटा समूह की कमान संभालेंगे या एन. चंद्रशेखर इसी भूमिका में बने रहेंगे।
अंतिम विदाई
रतन टाटा के निधन से न केवल उद्योग जगत में बल्कि देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके जाने से एक युग का अंत हो गया है। उन्होंने अपने जीवन में जो आदर्श स्थापित किए, वे हमेशा याद किए जाएंगे। टाटा समूह के कर्मचारियों और आम जनता के दिलों में रतन टाटा का स्थान हमेशा रहेगा। उनका जीवन एक मिसाल है कि किस तरह उद्योग और समाज के बीच संतुलन बनाए रखा जा सकता है।
भारत ने एक ‘रतन’ खो दिया: देश का सबसे बड़ा ‘लोहार’ अब नहीं रहा।
कन्यादान कल्याण फाउंडेशन के द्वारा सम्पूर्ण भारत के प्रत्येक गाँव की इंटरमीडिएट पास महिलाओं के लिए लेकर आयी है एक सुनहरा अवसर !
आपका एक कदम, समाज के भविष्य को बदल सकता है!
यदि आप महिला हैं और समाज की सेवा करने का जज़्बा रखती हैं, तो कन्यादान कल्याण फाउंडेशन का यह सुनहरा अवसर आपके लिए है। कन्यादान कल्याण फाउंडेशन पूरे भारत में महिला शिक्षकों की भर्ती कर रहा है। यह सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि एक सेवा का मिशन है। आपके प्रयासों से न केवल बच्चों का भविष्य उज्ज्वल होगा, बल्कि आपको अपने गाँव और समुदाय के विकास में अहम भूमिका निभाने का मौका मिलेगा।
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भविष्य का निर्माण, आपके हाथों में!
कन्यादान कल्याण फाउंडेशन द्वारा की जा रही हैं –यह भर्ती योजना उन महिलाओं के लिए सुनहरा अवसर है, जो शिक्षा के माध्यम से समाज को सशक्त बनाना चाहती हैं।
हर गाँव में एक महिला शिक्षक:-
कन्यादान कल्याण फाउंडेशन का उद्देश्य है कि हर गाँव में एक-एक महिला शिक्षिका की नियुक्ति हो,जो बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करें। यह योजना न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार करेगी, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर भी प्रदान करेगी।
अपने – अपने घर में रहकर महिलाओं को पढ़ाने की सुविधा मिलेगी यह योजना महिलाओं के लिए बेहद ही सुविधाजनक है क्योंकि वे अपने-अपने घर में ही रहकर बच्चों को पढ़ा सकती हैं। अगर घर में जगह की कमी हो, तो वे लोग अपने गाँव के पंचायत भवन में भी पढ़ाने का विकल्प चुन सकती हैं।
नि:शुल्क शिक्षा का प्रसार हर महिला शिक्षिका को कम से कम 30 बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाने की जिम्मेदारी मिलेगी। यह कदम उन बच्चों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जो आर्थिक कठिनाइयों के कारण शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।
आकर्षक मानदेय : शिक्षिका बनने के बाद आपको प्रति माह ₹3,000 से लेकर ₹10,000 तक मानदेय मिलेगी। यह आर्थिक सहायता आपकी मेहनत और योगदान का सम्मान स्वरुप मिलेगी।
भारत के प्रत्येक राज्यों के हर एक गाँव में एक-एक महिला शिक्षिका की नियुक्ति कन्यादान कल्याण फाउंडेशन कर रही है
1. बिहार राज्य में टोटल कितने शिक्षिका को कन्यादान कल्याण फाउंडेशन बहाल कर रही है ?
बिहार राज्य में टोटल 46,000 शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है कन्यादान कल्याण फाउंडेशन शिक्षण संस्थान प्रत्येक गाँव में एक – एक महिला शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है! सभी शिक्षिका को अपने – अपने गाँव में ही रहकर पढ़ाना है और इसकी सबसे अच्छी बात यह है की शिक्षिका को अपने – अपने घर में ही रहकर पढ़ा सकती है! उनको कही जाने की जरूरत नहीं अगर शिक्षिका के घर में जगह नहीं है तो शिक्षिका अपने – अपने गाँव के पंचायत भवन में भी पढ़ा सकती है! उनको कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है!
1. बिहार: कुल 46,000 महिला शिक्षिकाओं की भर्ती
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2. झारखण्ड राज्य में टोटल कितने शिक्षिका को कन्यादान कल्याण फाउंडेशन बहाल कर रही है ?
झारखण्ड राज्य में टोटल 32520 शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है कन्यादान कल्याण फाउंडेशन शिक्षण संस्थान प्रत्येक गाँव में एक महिला शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है सभी शिक्षिका को अपने – अपने गाँव में ही रहकर पढ़ाना है और इसकी सबसे अच्छी बात यह है की शिक्षिका को अपने – अपने घर में ही रहकर पढ़ा सकती है! उनको कही जाने की जरूरत नहीं अगर शिक्षिका के घर में जगह नहीं है तो शिक्षिका अपने – अपने गाँव के पंचायत भवन में भी पढ़ा सकती है उनको कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है!
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3. राजस्थान राज्य में टोटल कितने शिक्षिका को कन्यादान कल्याण फाउंडेशन बहाल कर रही है ?
राजस्थान राज्य में टोटल 107753 शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है कन्यादान कल्याण फाउंडेशन शिक्षण संस्थान प्रत्येक गाँव में एक – एक महिला शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है! सभी शिक्षिका को अपने – अपने गाँव में ही रहकर पढ़ाना है और इसकी सबसे अच्छी बात यह है की शिक्षिका अपने – अपने घर में ही रहकर पढ़ा सकती है! उनको कही जाने की जरूरत नहीं अगर शिक्षिका के घर में जगह नहीं है तो शिक्षिका अपने – अपने गाँव के पंचायत भवन में भी पढ़ा सकती है उनको कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है!
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4. पंजाब राज्य में टोटल कितने शिक्षिका को कन्यादान कल्याण फाउंडेशन बहाल कर रही है ?
पंजाब राज्य में टोटल 12,581 शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है कन्यादान कल्याण फाउंडेशन शिक्षण संस्थान प्रत्येक गाँव में एक – एक महिला शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है! सभी शिक्षिका को अपने – अपने गाँव में ही रहकर पढ़ाना है और इसकी सबसे अच्छी बात यह है की शिक्षिका अपने – अपने घर में ही रहकर पढ़ा सकती है! उनको कही जाने की जरूरत नहीं अगर शिक्षिका के घर में जगह नहीं है तो शिक्षिका अपने – अपने गाँव के पंचायत भवन में भी पढ़ा सकती है उनको कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है!
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5. उत्तर प्रदेश राज्य में टोटल कितने शिक्षिका को कन्यादान कल्याण फाउंडेशन बहाल कर रही है ?
उत्तर प्रदेश राज्य में टोटल 57,607 शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है कन्यादान कल्याण फाउंडेशन शिक्षण संस्थान प्रत्येक गाँव में एक – एक महिला शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है! सभी शिक्षिका को अपने – अपने गाँव में ही रहकर पढ़ाना है और इसकी सबसे अच्छी बात यह है की शिक्षिका अपने – अपने घर में ही रहकर पढ़ा सकती है! उनको कही जाने की जरूरत नहीं अगर शिक्षिका के घर में जगह नहीं है तो शिक्षिका अपने – अपने गाँव के पंचायत भवन में भी पढ़ा सकती है उनको कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है!
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6. मध्य प्रदेश राज्य में टोटल कितने शिक्षिका को कन्यादान कल्याण फाउंडेशन बहाल कर रही है ?
मध्य प्रदेश राज्य में टोटल 54,903 शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है कन्यादान कल्याण फाउंडेशन शिक्षण संस्थान प्रत्येक गाँव में एक – एक महिला शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है! सभी शिक्षिका को अपने – अपने गाँव में ही रहकर पढ़ाना है और इसकी सबसे अच्छी बात यह है की शिक्षिका अपने – अपने घर में ही रहकर पढ़ा सकती है! उनको कही जाने की जरूरत नहीं अगर शिक्षिका के घर में जगह नहीं है तो शिक्षिका अपने – अपने गाँव के पंचायत भवन में भी पढ़ा सकती है उनको कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है!
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7. महाराष्ट्र राज्य में टोटल कितने शिक्षिका को कन्यादान कल्याण फाउंडेशन बहाल कर रही है ?
महाराष्ट्र राज्य में टोटल 44,198 शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है कन्यादान कल्याण फाउंडेशन शिक्षण संस्थान प्रत्येक गाँव में एक – एक महिला शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है! सभी शिक्षिका को अपने – अपने गाँव में ही रहकर पढ़ाना है और इसकी सबसे अच्छी बात यह है की शिक्षिका अपने – अपने घर में ही रहकर पढ़ा सकती है! उनको कही जाने की जरूरत नहीं अगर शिक्षिका के घर में जगह नहीं है तो शिक्षिका अपने – अपने गाँव के पंचायत भवन में भी पढ़ा सकती है उनको कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है!
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8. गुजरात राज्य में टोटल कितने शिक्षिका को कन्यादान कल्याण फाउंडेशन बहाल कर रही है ?
गुजरात राज्य में टोटल 19,171 शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है कन्यादान कल्याण फाउंडेशन शिक्षण संस्थान प्रत्येक गाँव में एक – एक महिला शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है! सभी शिक्षिका को अपने – अपने गाँव में ही रहकर पढ़ाना है और इसकी सबसे अच्छी बात यह है की शिक्षिका अपने – अपने घर में ही रहकर पढ़ा सकती है! उनको कही जाने की जरूरत नहीं अगर शिक्षिका के घर में जगह नहीं है तो शिक्षिका अपने – अपने गाँव के पंचायत भवन में भी पढ़ा सकती है उनको कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है!
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9.उत्तराखंड राज्य में टोटल कितने शिक्षिका को कन्यादान कल्याण फाउंडेशन बहाल कर रही है ?
उत्तराखंड राज्य में टोटल 16,674 शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है कन्यादान कल्याण फाउंडेशन शिक्षण संस्थान प्रत्येक गाँव में एक – एक महिला शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है! सभी शिक्षिका को अपने – अपने गाँव में ही रहकर पढ़ाना है और इसकी सबसे अच्छी बात यह है की शिक्षिका अपने – अपने घर में ही रहकर पढ़ा सकती है! उनको कही जाने की जरूरत नहीं अगर शिक्षिका के घर में जगह नहीं है तो शिक्षिका अपने – अपने गाँव के पंचायत भवन में भी पढ़ा सकती है उनको कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है!
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10.ओड़िसा राज्य में टोटल कितने शिक्षिका को कन्यादान कल्याण फाउंडेशन बहाल कर रही है ?
ओड़िसा राज्य में टोटल 16,674 शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है कन्यादान कल्याण फाउंडेशन शिक्षण संस्थान प्रत्येक गाँव में एक – एक महिला शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है! सभी शिक्षिका को अपने – अपने गाँव में ही रहकर पढ़ाना है और इसकी सबसे अच्छी बात यह है की शिक्षिका अपने – अपने घर में ही रहकर पढ़ा सकती है! उनको कही जाने की जरूरत नहीं अगर शिक्षिका के घर में जगह नहीं है तो शिक्षिका अपने – अपने गाँव के पंचायत भवन में भी पढ़ा सकती है उनको कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है!
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11.छत्तीसगढ़ राज्य में टोटल कितने शिक्षिका को कन्यादान कल्याण फाउंडेशन बहाल कर रही है ?
छत्तीसगढ़ राज्य में टोटल 20,619 शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है कन्यादान कल्याण फाउंडेशन शिक्षण संस्थान प्रत्येक गाँव में एक – एक महिला शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है! सभी शिक्षिका को अपने – अपने गाँव में ही रहकर पढ़ाना है और इसकी सबसे अच्छी बात यह है की शिक्षिका अपने – अपने घर में ही रहकर पढ़ा सकती है! उनको कही जाने की जरूरत नहीं अगर शिक्षिका के घर में जगह नहीं है तो शिक्षिका अपने – अपने गाँव के पंचायत भवन में भी पढ़ा सकती है उनको कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है!
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12.पश्चिम बंगाल राज्य में टोटल कितने शिक्षिका को कन्यादान कल्याण फाउंडेशन बहाल कर रही है ?
पश्चिम बंगाल राज्य में टोटल 40,218 शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है कन्यादान कल्याण फाउंडेशन शिक्षण संस्थान प्रत्येक गाँव में एक – एक महिला शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है! सभी शिक्षिका को अपने – अपने गाँव में ही रहकर पढ़ाना है और इसकी सबसे अच्छी बात यह है की शिक्षिका अपने – अपने घर में ही रहकर पढ़ा सकती है! उनको कही जाने की जरूरत नहीं अगर शिक्षिका के घर में जगह नहीं है तो शिक्षिका अपने – अपने गाँव के पंचायत भवन में भी पढ़ा सकती है उनको कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है!
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कन्यादान कल्याण फाउंडेशन के द्वारा सम्पूर्ण राज्यों के हर एक गाँव में एक एक महिला शिक्षिका की नियुक्ति कर रही है, और वह अपने-अपने गाँव के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करेगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर सुधरेगा और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को भी अच्छा भविष्य मिलेगा।
इस अवसर का लाभ उठाने के लिए पात्रता:
शैक्षिक योग्यता
कम से कम 10+2 (इंटरमीडिएट) उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। साथ ही, द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण होना आवश्यक है।
आयु सीमा
आवेदन करने के लिए उम्र की सीमा 18 से 35 होनी चाहिए। जो भी महिला इच्छुकऔर शिक्षित है, इस योजना का हिस्सा बन सकती है।
भाषा
हिंदी या अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई पूरी करने वाली महिलाएँ आवेदन कर सकती हैं।
कैसे करें आवेदन:
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1. सबसे पहले आवेदन लिंक पर क्लिक करें :- CLICK HERE
2. फॉर्म में अपनी व्यक्तिगत जानकारी नाम, मोबइल नंबर, ईमेल आईडी भरें।
3. एक सुरक्षित पासवर्ड बनाएँ और ओटीपी डालकर फॉर्म को सबमिट करें।
4. इसके बाद फॉर्म में अपनी शैक्षिक योग्यता, फोटो, आधार कार्ड और अन्य आवश्यक दस्तावेज़ों की PDF अपलोड करें।
5. ₹1111 का आवेदन शुल्क ऑनलाइन जमा करें। भुगतान के बाद एक रसीद जारी होगी, जिसे भविष्य के लिए सुरक्षित रखें।
6. आवेदन की पुष्टि के बाद आपको एकडम आईडी कार्ड मिलेगा। चयनित होने पर, एक महीने के भीतर आपको इंटरव्यू के लिए कॉल किया जाएगा।
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यह सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि एक सेवा का मौका है!
कन्यादान कल्याण फाउंडेशन की यह योजना सिर्फ शिक्षण तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसा अवसर है, जो महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाती है और साथ ही उन्हें समाज के भविष्य निर्माण का हिस्सा बनाती है।
आपका यह प्रयास सिर्फ 30 बच्चों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह पहल पूरे समाज को प्रभावित करेगी। जब आप अपने गाँव के बच्चों को पढ़ाएंगी, तो आप ज्ञान की दीपक जलाएंगी, जो अगली पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।
कन्यादान कल्याण फाउंडेशन के द्वारा सम्पूर्ण भारत के प्रत्येक गाँव की इंटरमीडिएट पास महिलाओं के लिए लेकर आयी है एक सुनहरा अवसर !
क्यों बनें कन्यादान कल्याण फाउंडेशन का हिस्सा?
1. गृहिणी से शिक्षिका बनने का मौका : अब महिलाएँ अपने घर से बाहर निकले बिना अपने समुदाय की सेवा कर सकती हैं।
2. गाँव में शिक्षा का प्रसार : ग्रामीण बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी, जिससे उनका भविष्य उज्ज्वल होगा।
3. आर्थिक सहायता : इस योजना के तहत आपको मानदेय के रूप में आर्थिक सहायता मिलेगी, जिससे आपकी आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा।
4. समाज में योगदान : आप केवल शिक्षिका नहीं, बल्कि समाज की विकासकर्ता बनेंगी। आपके द्वारा दी गई शिक्षा का प्रभाव हर बच्चे पर पड़ेगा, जिससे वे जीवन में आगे बढ़ सकेगें।
कन्यादान कल्याण फाउंडेशन के द्वारा सम्पूर्ण भारत के प्रत्येक गाँव की इंटरमीडिएट पास महिलाओं के लिए लेकर आयी है एक सुनहरा अवसर !
अब आप देर न करें, तुरंत आवेदन करें और समाज के उत्थान में अपनी भूमिका निभाएँ।
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आपका योगदान, हमारे देश का भविष्य उज्ज्वल बनाएगी। आइए, मिलकर एक शिक्षित समाज का निर्माण करें।
इस तरीके से यह जानकारी न केवल पढ़ने में सरल होगी बल्कि यह प्रेरणादायक भी लगेगी, जो महिलाओं को जोड़ने और उनका मनोबल बढ़ाने में सहायक होगी।
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