प्रिंसिपल सर शराब पीकर जाम छलकाते हैं और फिर नर्सिंग छात्राओं से मसाज करवाते हैं। छात्राओं ने मुख्यमंत्री को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने गंभीर आरोप लगाए हैं।

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बिहार के बेतिया जिले में स्थित जीएनएम (जनरल नर्सिंग और मिडवाइफरी) प्रशिक्षण संस्थान में एक गंभीर और चिंताजनक मामला सामने आया है। संस्थान के प्रभारी प्राचार्य, मनीष जायसवाल, पर छात्राओं ने गंभीर आरोप लगाए हैं। छात्राओं का कहना है कि प्राचार्य मनीष जायसवाल कार्यालय में शराब का सेवन करते हैं और न केवल शराब पीते हैं बल्कि अश्लील तरीके से मसाज भी करवाते हैं।

 

 

 

इस संदर्भ में प्राचार्य की शराब पीते हुए तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें साफ देखा जा सकता है कि उनके ऑफिस की टेबल पर शराब की बोतलें रखी हैं। इस शर्मनाक घटना के बाद छात्राओं ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने पत्र में इस बात पर जोर दिया है कि बिहार में शराबबंदी के बावजूद एक सरकारी संस्थान के प्रमुख के द्वारा इस तरह की हरकतें न केवल कानून का उल्लंघन हैं, बल्कि छात्रों के लिए भय और असुरक्षा का माहौल भी पैदा कर रही हैं।
छात्राओं ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री से यह सवाल उठाया है कि राज्य में शराबबंदी लागू होने के बावजूद इस तरह की घटना पर अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि शिकायत मिलने के बाद बेतिया सिविल सर्जन को जांच का आदेश दिया गया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इस लापरवाही और अनदेखी के कारण छात्राएं अत्यधिक आहत और भयभीत हैं, और वे अब अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
इस पूरी घटना ने न केवल बेतिया जिले बल्कि पूरे राज्य में शिक्षा और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। छात्राओं की इस चिट्ठी से यह स्पष्ट होता है कि वे अब न्याय की मांग कर रही हैं और उम्मीद करती हैं कि जल्द से जल्द उचित कार्रवाई की जाएगी ताकि उन्हें इस खौफ से मुक्ति मिल सके और शिक्षा का माहौल फिर से सुरक्षित और अनुकूल हो सके।

इस मामले में सबसे पहले छात्राओं ने हिम्मत जुटाकर प्राचार्य के इन कृत्यों के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने मनीष जायसवाल की शराब पीते हुए तस्वीरें लीं, जिसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि वह कार्यालय में बैठकर शराब का सेवन कर रहे हैं, और टेबल पर शराब की बोतलें रखी हुई हैं। इन तस्वीरों को सबूत के तौर पर संलग्न करते हुए छात्राओं ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने इस शर्मनाक स्थिति का पूरा ब्योरा दिया।

छात्राओं का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा लागू की गई शराबबंदी के बावजूद, एक उच्च पदस्थ अधिकारी द्वारा इस तरह की गतिविधि न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह संस्थान के अनुशासन और प्रतिष्ठा पर भी सवाल खड़ा करता है। छात्राओं ने अपनी चिट्ठी में इस बात पर भी जोर दिया है कि ऐसी परिस्थितियों में शिक्षा का माहौल बुरी तरह प्रभावित हो रहा है और छात्राओं के मन में लगातार भय और असुरक्षा की भावना बनी हुई है।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए बेतिया के सिविल सर्जन को जांच का आदेश दिया गया था। हालांकि, छात्राओं ने यह भी बताया कि जांच के आदेश दिए जाने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे उनकी चिंता और बढ़ गई है। इस लापरवाही और अनदेखी के कारण छात्राएं खुद को असहाय और निराश महसूस कर रही हैं।
छात्राओं ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस मामले की जल्द से जल्द निष्पक्ष जांच हो और दोषी प्राचार्य के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो उनका भविष्य अंधकारमय हो सकता है, क्योंकि वे एक ऐसे माहौल में शिक्षा प्राप्त करने के लिए मजबूर हैं, जो न केवल असुरक्षित है बल्कि अपमानजनक भी है।

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